निर्भया मामला: 'सत्यमेव जयते' का स्लोगन सार्थक हुआ

Nirbhaya Convicts Hanged What Happen In Tihar Jail (Pic: hindirush)

भारतीय न्याय व्यवस्था में एक बार पुनः लोगों का विश्वास कायम हुआ है। कहते हैं भगवान के घर देर है पर अंधेर नहीं और भारतीय न्याय व्यवस्था ने इसे एक बार पुनः साबित किया है। जिस प्रकार निर्भया मामले में न्याय करते-करते 7 साल गुजर गए उसने लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी थी। रोज एक के बाद एक कानूनी दांवपेच सामने आ रहे थे और कई बार तो फांसी की सजा मुकर्रर होने के बाद डेथ वारंट तक टल गए। किंतु अंततः 20 मार्च का दिन 'न्याय का संदेश' लाया जब चारों अपराधियों को मृत्युदंड देकर 'सत्यमेव जयते' का स्लोगन सार्थक किया गया।


चुकी भारत सहित समूचे विश्व में इस फांसी की तिथि के आसपास कोरोना  वायरस की दहशत फैली हुई है। इसलिए निर्भया के दोषियों की फांसी की खबर बहुत देर तक नहीं चल सकी और इसका जो संदेश जन-जन तक पहुंचना चाहिए संभवत वह उस परिमाण में नहीं पहुंच पाया। लेकिन इससे निकला संदेश बड़ा सटीक है वह संदेश कहता है कि महिलाओं की अस्मिता के ऊपर किसी भी युग में जिसने भी हाथ डालने की जुर्रत की उसे सिर्फ एक चीज प्राप्त हुई है और वह है 'मृत्यु'। 

वह चाहे त्रेतायुग का रावण हो चाहे द्वापर युग का दुर्योधन और दुशासन हो, चाहे कलयुग का अपराधी ही क्यों ना हो सरकार और नागरिक संगठनों की यह जवाबदेही बनती है कि इस फांसी से निकले संदेश को जन-जन तक पहुंचाया जाए बल्कि इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। लोगों तक इस बात की चर्चा पहुंचे ताकि बचपन से ही इस बात का लोगों में डर रहे कि हमारी न्याय प्रणाली दोषियों को सजा देने में सक्षम है। ना केवल सजा देने में बल्कि स्त्री के खिलाफ जघन्य अपराधों के मामले में दोषी को यमराज के पास भेजने की हमारी न्यायिक ताकतें स्वायत्त और सार्वभौमिक है।

इस फांसी के साथ स्कूली पाठ्यक्रमों पर भी कार्य करना चाहिए और लोगों तक उनके परिवार में सही संदेश पहुंचे। जब तक प्रत्येक स्तर पर कार्य नहीं होगा तब तक लोगों में जागरूकता नहीं आएगी। लोगों में अपराध के प्रति डर की उत्पत्ति नहीं होगी। संभवत यही एक ऐसा संदेश है जिसे प्रतीकात्मक रूप में इस्तेमाल करना चाहिए और तभी समाज में अपराधियों को बनने से रोका जा सकेगा। 

अगर सरकार नागरिक संगठन इस कार्य को कर पाए तो इसे एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर गिना जाएगा और फिर हमारा समाज निर्भया जैसे हालातों के सामने बेबस नहीं हो पाएगा। तब हम अपनी बेटियों के सामने सर उठाकर कह सकेंगे कि तुम वास्तव में निर्भय रहो क्योंकि हमारी अदालतें हमारी कानून व्यवस्था 'सत्यमेव जयते' की रक्षा करने में पूर्ण रूप से सक्षम है। बिना किसी हिचकिचाहट के बिना किसी रूकावट के 'सत्यमेव जयते'


-विंध्यवासिनी सिंह 

Post a Comment

0 Comments