चीन के साथ 'हीन भावना का शिकार' होना क्या उचित है?

China: How To Lead The World 

वर्तमान समय में कोरोना वायरस के प्रसार के कारण चीन दुनिया भर के नेताओं के निशाने पर आ गया है। कभी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस को 'चीनी वायरस' कह कर अपनी मानसिकता का परिचय देते हैं, तो कभी कुछ वैज्ञानिक बिना किसी ठोस सबूत के कोरोना वायरस को चीन के लैब से लीक होने की बात को बढ़ावा दे रहे हैं।

लेकिन इन सब पर आप ध्यान देंगे तो इन सारे आरोपों के पीछे कोई भी ठोस सुबूत नहीं दे पाया है। वहीं चीन को लेकर इस वक्त पूरी दुनिया में एक अजीब तरह का अवसाद देखने को मिल रहा है

इसमें कोई दो राय नहीं है कि चीन की कई नीतियां पारदर्शी नहीं रही हैं। इतना ही नहीं जिस तरह से वह छोटे-बड़े कई देशों को कर्ज के जाल में उलझाता है उसकी भी खासी आलोचना की जाती है। पर क्या यह सच नहीं है कि अमेरिका सहित तमाम पश्चिमी देश और यूनाइटेड नेशंस जैसी संस्थाएं तमाम गरीब देशों को विकल्प उपलब्ध करा पाने में असफल रही हैं? ऐसे में अगर चीन विश्व के एक हिस्से का नेतृत्व कर रहा है उसमें किसी को क्या आपत्ति होनी चाहिए, बल्कि उससे तो सीख लेनी चाहिए।

क्या यह सच नहीं है कि पिछले कई दशकों में चीन ने जिस प्रकार से तेजी से विकास किया है वो लोगों को दांतो तले उंगली दबाने पर मजबूर किया है। सभी जानते हैं कि दूसरे विश्व युद्ध (1993  से 1945 तक ) में जापान से लड़ाई लड़ने के बाद चीन बेहद गरीब देशों में गिना जाता था। वहीं 1990 तक भारत और चीन आर्थिक और विकास के लेवल पर लगभग बराबर ही थे। दोनों ही देश अपने यहाँ बढ़ती आबादी के बोझ को लेकर परेशान थे। लेकिन चीन ने अपनी बड़ी आबादी के साथ ही अपनी सही नीतियों के साथ अपने यहाँ विकास के पहियों को इतनी तेजी से घुमाया कि आज भारत और चीन के विकास में जमीन आसमान का फर्क है। इसके लिए भारत सहित सभी देशों को प्रेरणा लेने की जरुरत है।

वहीं आज के सन्दर्भ में ही देखें तो अब कोरोना वायरस के संकट को ही ले लीजिए। चीन में यह बीमारी सबसे पहले फैली और सबसे ज्यादा लोगों को प्रभावित भी की। बावजूद इसके चीन ने ना इस पर नियंत्रण करने की कोशिशों की बल्कि इस बीच चीन इस हालत में आ गया है कि वह दूसरे देशों को 'पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट' सप्लाई कर रहा है। दवाइयों और वैक्सीन के विकास में भी उसकी कोशिशें आगे बढ़ रही हैं।

अपने आप में एक बड़ा आश्चर्य है यह है कि विश्व के सभी शक्तिशाली देश चीन के साथ  व्यापार भी करना चाहते हैं और चीन से सब को फायदा भी लेना है, लेकिन उसकी आलोचना भी करनी है। हकीकत तो यह है कि चाहें अमेरिका हो चाहे यूरोपियन देश या फिर भारत ही क्यों ना हो चीन के बिना इस वक्त वैश्विक अर्थव्यवस्था की कल्पना नामुमकिन सी ही है। रही बात उसकी नीतियों की उसके गैर पारदर्शी प्रशासन की तो यह किसी भी देश का अपना आंतरिक अधिकार है। कोई भी संप्रभु देश नियम बनाने और उसे लागू करने के लिए अपने आप में स्वतंत्र है और चीन इसका अपवाद नहीं।


वैश्विक समुदाय को चाहिए कि चीन से हीन भावना का शिकार होने की बजाय उसके साथ सहयोग की भावना रखी जाए। वह चाहें क्षेत्रीय विकास की बात हो या फिर अर्थव्यवस्था की ही बात क्यों ना हो। हां उसके साथ तमाम आपत्तियां किसी देश को हो सकती हैं तो उन पर बातचीत की जानी चाहिए और सिक्के के दोनों पहलुओं को देखा जाना चाहिए। कोरोना जैसे वैश्विक संकट के समय में चीन की 'लानत -मलानत' करने से क्या हासिल होगा यह बात समझ से परे है?

-विंध्यवासिनी सिंह

Web Title: China How To Lead The World In Hindi

Keywords: China, China Strategy, china Development, Artificial Intelligence

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