कोरोना वायरस के प्रसार के बीच जिस प्रकार से देश में लॉक डाउन की स्थिति उत्पन्न हुई है, उसने हर किसी को हिला दिया। इस बीच दुखद बात यह हुई कि भारत में सांप्रदायिक छींटाकशी शुरू हो गई। इस छींटाकशी ने तब और जोर पकड़ा जब दिल्ली में तबलीगी जमात के लोग लॉक डाउन का बड़ी संख्या में उल्लंघन करते पाए गए। ना केवल उल्लंघन बल्कि डॉक्टरों को लेकर तबलीगी के कुछ सदस्यों ने मर्यादित व्यवहार किया। यहां तक कि डॉक्टरों और नर्सों के ऊपर थूकने तक की घटनाएं सामने आयीं, जिसने समाज में दरार डालने का काम किया।
इसको लेकर लोगों ने विरोध शुरू किया और अति करते हुए मुस्लिम समाज के बहिष्कार की मांग कर डाली। इसको लेकर मीडिया में बड़ी चर्चा हुई यहां तक कि मुस्लिमों के सबसे बड़े संगठन ओआईसी (OIC) ने ऑफिशियल बयान जारी करके भारत में माइनारटीज के अधिकारों की सुरक्षा की मांग कर डाली। इसे लेकर एक मुस्लिम देश के राजकुमारी के ट्वीट की भी चर्चा हुई जो बाद में फर्जी निकला।
बहरहाल इस बीच विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत सामने आए और उन्होंने इसे लेकर अपने विचार रखे। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि समाज में मुस्लिमों को लेकर भेदभाव की सोच उचित स्थिति नहीं है, क्योंकि सभी मां भारती के पुत्र हैं। यूं तो संघ को हिंदुओं का ही संगठन माना जाता है लेकिन अपने लोगों को अनुशासित करना हमेशा से कठिन रहा है। संघ प्रमुख ने निश्चित रूप से फैल रही नफरत पर पानी डालने का काम किया है। तमाम संगठनों के लोगों को खासकर शिर्ष पर बैठे लोगों को इस तरह के इनीशिएटिव लेने की आवश्यकता है।
संघ प्रमुख ही क्यों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लॉक डाउन के पहले दिन से लोगों की सेवा में लगा है। भोजन पहुंचाने से लेकर दूसरे तमाम अभियान वह लगातार चला रहा है और इसमें वह किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करता है। वह नहीं देख रहा है कि कौन हिंदू है, कौन मुस्लिम या कोई और।
संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान की बात की जाए तो उन्होंने बेहद सकारात्मक ढंग से लॉक डाउन के बारे में कहा है कि डरने की बजाय इसका डटकर सामना करने की जरूरत है। इसके लिए उन्होंने आत्मशक्ति पर बल दिया, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि लॉक डाउन, सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का लंबे समय तक पालन की आवश्यकता है।
संघ प्रमुख का बयान इसलिए भी बहुत पूर्ण है कि देश भर में करोड़ों की संख्या में स्वयंसेवक हैं जिन पर संघ प्रमुख के बयान का बड़ा असर होता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि मोहन भागवत के बयान से समाज में वैमनस्यता कम करने में मदद मिलेगी तो दूसरे तमाम संगठनों के लोग भी उनसे प्रेरित होकर अपने संगठन से जुड़े लोगों को अनुशासित करेंगे। साथ ही सभी मिलकर भारत में लॉक डाउन के दौरान और उसके बाद कोरोना को हराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित करेंगे।
- विंध्यवासिनी सिंह
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