राम मंदिर को लेकर एक और बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है और वह इसका 'हाइप क्रिएट' करने से बचने की कोशिश। यह ठीक है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इसका निर्णय दिया और उसी के अनुरूप इसका निर्माण भी शुरू होने जा रहा है, लेकिन न्यायालय में एक पक्ष की जीत होती है तो दूसरे पक्ष की हार भी होती है। ऐसी स्थिति में जीतने वाले पक्ष को बड़प्पन दिखलाना चाहिए खास कर तमाम राजनेताओं को इसके बारे में बेवजह बयानबाजी से बचना चाहिए। तो वहीं धर्म गुरुओं को भी इस बाबत कमेंट करने से बचना चाहिए। मन्दिर निर्माण के लिए 'श्री राम तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट' का गठन हो चुका है और वह तमाम बातों का विचार करते हुए फूंक -फूंक कर कदम बढ़ा रही है, ऐसी स्थिति में राजनेताओं और धर्मगुरुओं को भी संयम का परिचय देना चाहिए।
भगवान राम के आदर्श चरित्र के हम सभी कायल हैं, किंतु ऐसे बहुत कम लोग मिलेंगे जिनके अंदर राम के 'गुण' लेस मात्र भी हो।
ऐसी स्थिति में श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण लोगों को व्यावहारिक रूप से उनके चारित्रिक पक्ष की समझ बढ़ाने हेतु प्रेरित करेगा ऐसा विश्वास हर किसी को रखना चाहिए।
कला की दृष्टि से बात की जाए तो भगवान राम का यह मंदिर अपने आप में दर्शनीय स्थान होगा और न केवल भारत के लोगों को बल्कि तमाम दूसरे देशों के नागरिकों के लिए भी यह आकर्षण का केंद्र बनेगा। मन्दिर दर्शन की योजना से भारत आने वाले तमाम यात्रियों से यह क्षेत्र गुंजायमान रहेगा और संस्कृतियों के आदान-प्रदान से लोगों को काफी कुछ सीखने को भी मिलेगा। इस मन्दिर का नक्शा बेहद उम्दा बनाया गया है और भारत भर में क्षेत्रफल के लिहाज से यह दूसरा बड़ा मंदिर होने वाला है। तो आइए भगवान राम के नाम पर हम इसे याद करें और उनकी दी हुई सोहद्र की शिक्षा को धारण करें। एक दूसरे के साथ मिलकर अपने महान देश 'भारत' को प्रगति के पथ पर आगे ले चलें। 'जय श्री राम'
विंध्यवासिनी सिंह
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