आखिर गाड़ ही दिया ऑस्कर में झंडा!


यह कोई साधारण बात नहीं है क्योंकि ऑस्कर में ना केवल अमेरिकन फिल्में बल्कि विश्व की तमाम सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में ही पहुंचती हैं, खुद भारतीय फिल्म इंडस्ट्री ने इसके लिए हमेशा ही प्रयास किया है। कई बार भारतीय फिल्मों के अलग-अलग आर्ट फॉर्मेट को पहचान भी मिली है, तो एकेडमी अवार्ड से नवाजा भी गया है। 

किंतु इस बार का एक रेडमी अवार्ड समारोह कुछ अलग ही रंग में रंग गया अभी-अभी होली मना कर हम सुस्ता ही रहे थे कि, भारतीय रंग में ऑस्कर अवार्ड समारोह भी रंग गया। इसके बारे में हम आगे बात करेंगे, आइए पहले जान लेते हैं कि अब तक इस प्रतिष्ठित अवार्ड समारोह में किन-किन भारतीय फिल्मों को और किस कैटेगरी में अवार्ड मिला है। 

Below is the list of all Oscar Awards

  1. Bhanu Athaiya (1982)
  2. Satyajit Ray (1992)
  3. Resul Pookutty (2009)
  4. Gulzar (2009)
  5. A R Rahman (2009)
  6. Kartiki Gonsalves and Guneet Monga, The Elephant Whisperers (2023)
  7. RRR Naatu Naatu (2023)...

आप इस लिस्ट को देखकर कहेंगे कि, इतनी बड़ी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री जहां विश्व में सबसे अधिक फिल्में बनती हैं, तो सबसे अधिक दर्शक भी हैं, सबसे बड़ा बाजार भी है फिर ऐसा क्या कारण रहा है कि, अकैडमी अवॉर्ड्स जैसे प्रतिष्ठित समारोह में गिनी चुनी भारतीय फिल्में ही स्थान बना सकी हैं, वह भी अपने 100 साल से अधिक की यात्रा के बावजूद, तो इसका कारण कोई छिपा हुआ नहीं है! 

सच कहा जाए तो आप हॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्मों के बजट को देखेंगे तो आपको कारण समझ में आ जाएगा। वैसे अब भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को बालीवुड नाम देना दक्षिण सिनेमा के साथ अन्याय होगा, तो अब बॉलवुड नाम हटाकर अगर इसे भारतीय सिनेमा के एक बड़े छत्र में समाहित किया जाए तो यह कहीं ज्यादा न्यायोचित होगा।

तो बात चल रही थी बजट की जो कि अब हॉलीवुड के थोड़ा नजदीक पहुंच रहा है।  अब भारत में भी बाहुबली जैसी या आरआर जैसी मेगा बजट की फिल्में बन रही हैं, किंतु अगर सिर्फ बजट की ही बात की जाए तो यह हॉलीवुड के साथ अन्याय होगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि वहां की फिल्में, वहां के राइटर, डायरेक्टर अत्यधिक क्रिएटिव रहे हैं और वह हमेशा कुछ नया देने के जुनून के साथ आगे बढ़ कर आते रहे। 

वह चाहें टाइटेनिक बनाने वाले स्पीलबर्ग की बात हो, जिन्होंने अवतार के रूप में सर्वश्रेष्ठ क्रिएटिविटी का प्रदर्शन किया या फिर कार्टून सीरीज की एनिमेशन की बात हो या फिर मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स की बात हो, जहां वास्तव में कॉमिक्स की दुनिया को हुबहू पर्दे पर उतारा गया। 

यह एक सोच थी जिसमें बजट का प्रभाव होने के बावजूद भी क्रिएटिविटी का एक खास एंगल था। दक्षिण सिनेमा ने इस मामले में जरूर अपने स्तर पर प्रयास किया है, किंतु बॉलीवुड की अगर बात करें तो यहां के बड़े निर्माता-निर्देशक चालू और मसाला फिल्में बनाकर हिंदी भाषी क्षेत्र के दर्शकों के साथ एक तरह से खिलवाड़ करते रहे। सच कहा जाए तो हिंदी भाषी दर्शकों को हॉलीवुड की फिल्मों का कुछ खास टेस्ट ही नहीं पता चल पाया। इसके पहले दक्षिण सिनेमा भी मारधाड़ और अविश्वसनीय एक्शन के कॉकटेल से ही भरा रहता था, उसमें कोई असल टेस्ट नहीं आता था, किंतु अब माहौल बदला है। 

अब ना केवल कहानी के स्तर पर बल्कि डायरेक्शन और प्रोडक्शन के लेवल पर भी एक बड़ा कैनवास बनाने का प्रयत्न हो रहा है, दर्शकों को कुछ नया देने का प्रयत्न हो रहा है। अगर कुछ महत्वपूर्ण फिल्मों की बात करें जो हाल के दिनों में अपेक्षाओं पर खरी उतरी है तो उनमें - बाहुबली, RRR , कांतारा, K.G.F,  Enthiran (रोबोट) का नाम आप ले सकते हैं। 

म्यूजिक से लेकर एनिमेशन और 3D इफेक्ट तक वीएफएक्स तक किए जा रहे हैं और यही कारण है कि अब भारतीय सिनेमा अपने समग्र रूप में अपनी पूरी क्षमता के साथ बाहर निकलने का प्रयत्न कर रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले दिनों में फ्रेश कहानियों के साथ न केवल बॉलीवुड बल्कि दूसरे भारतीय रीजनल सिनेमा भी वैश्विक स्तर पर अपनी जबरदस्त छाप छोड़ेंगे, लेकिन यह यात्रा जाहिर तौर पर लंबी है, किंतु भारतीय सिनेमा के धुरंधरों को समझना चाहिए कि, खासकर बॉलीवुड में फिल्मकारों को समझना चाहिए कि, केवल हॉलीवुड बल्कि ओटीटी प्लेटफार्म भी अब उनके कंपटीशन में हैं। 

जाहिर तौर पर अब वही दिखेगा जो वास्तव में दर्शक देखना चाहेंगे और अगर दर्शकों को फ्रेश स्टोरी मिलेगी, नयापन मिलेगा, शानदार एक्सपीरियंस मिलेगा तो अब भला घिसी पिटी कॉन्सेप्ट के साथ फिल्म क्यों देखना चाहेंगे?

जो समझ गया बात को उसके लिए यह लाख टके की बात है, और जो नहीं समझा उसे तो फिर दर्शक ट्विटर पर किसी न किसी ट्रेंड के साथ खींच कर ले ही आएंगे।
सिनेमा हॉल में पिक्चर ना सही लेकिन ट्विटर पर मजाक उड़ाने में तो भारतीय दर्शक कतई पीछे नहीं हटेंगे!

 क्या कहते हैं आप कमेंट बॉक्स में अपने विचारों से अवगत कराएं। 


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